संक्रमण काल: कोरोना काल की विषम परिस्थितियों को उजागर करता प्रेम रंजन अनिमेष का नवीनतम कविता संग्रह

Ranchi: प्रेस क्लब राँची के सभागार में सुप्रसिद्ध कवि प्रेम रंजन अनिमेष के कविता संग्रह ‘ संक्रमण काल’ का लोकार्पण हुआ. उसके बाद पुस्तक पर परिचर्चा आयोजित की गई. कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात आलोचक प्रो रवि भूषण ने की. दिल्ली से कार्यक्रम में शामिल होने आए वरिष्ठ कवि मदन कश्यप ने पुस्तक पर अपने विचार रखे. परिचर्चा में कवि प्रकाश देवकुलिश और निशांत ने भी अपना वक्तव्य दिया. विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग, राँची की सहायक प्रोफेसर नियति कल्प ने भी पुस्तक पर अपने विचार रखे. कार्यक्रम का संचालन व संयोजन प्रसिद्ध कथाकार रश्मि शर्मा ने किया.

प्रेम रंजन अनिमेष का अभिनव कविता संग्रह ‘ संक्रमण काल ‘ हिन्दी ही नहीं, संभवतः विश्व साहित्य मे भी अपनी तरह का अनूठा काव्य संग्रह है. वैश्विक महामारी की पृष्ठभूमि में देश और दुनिया के स्तर पर अभूतपूर्व उथल पुथल की शिनाख्त करती ये कवितायें समकालीन हिंदी कविता जगत में अपनी तरह के अनूठे इस संग्रह को चिरकालिक और वैश्विक महत्त्व का बनाती हैं. 2020 से अब तक की लिखी ये कवितायें समकाल से उत्स्रुत होकर सर्वकाल को संबोधित करती हैं. ये कवितायें सदी की सबसे बड़ी आपदा या त्रासदी कही जाने वाली महामारी का मानवीय और सृजनात्मक अभिलेख तो हैं ही, उससे जूझ कर उबरने के संघर्ष और अनाहत जिजीविषा की महागाथा भी.

कवि-आलोचक निशांत ने अनिमेष के इस कविता संग्रह को सचमुच एक बहुत ही बड़े कवि का महान संग्रह बताते हुए जोर दिया कि इतनी महत्वपूर्ण कविताओं का अनुवाद अन्य भारतीय भाषाओं के साथ साथ, पूरे विश्व में होना चाहिए. डॉ नियति कल्प ने कहा कि संग्रह की कवितायें निर्जीवता से जीवंतता तथा खालीपन से खुलेपन की कवितायें हैं, और ‘स्व’ और ‘सह’ को एक साथ समाहित किये हुए समानुभूति की भी, जिससे पाठकों को ये अपनी लगती हैं. कवि प्रकाश देवकुलिश ने कहा कि कथ्य और शिल्प दोनों का सुंदर समन्वय अनिमेष की कविताओं में है, और हमारे समय समाज के लिए जरूरी सवाल भी. उन्होंने संग्रह की कुछ कविताओं का बहुत प्रभावपूर्ण पाठ भी किया.

वरिष्ठ कवि मदन कश्यप ने अनिमेष को नवें दशक के बाद का सर्वोत्तम कवि मानते हुए उनकी कविताओं की अनेक विशेषताओं को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि अनिमेष सूक्ष्म व पैनी दृष्टि के कवि हैं, जिनमें व्यापकता, वैविध्य और उतनी ही विराटता भी है. उनके यहाँ विचारधारा सतही नहीं बल्कि गहरे पैठी हुई है, प्रकृति निर्ब्याज है तथा भाषा सहज और पारदर्शी. वे जटिल स्थितियों को भी अत्यंत सरलता से सामने रखते हैं, जो किसी भी कवि के लिए आदर्श है. साथ ही, अनिमेष की कवितायें सत्ता और शक्ति के बरअक्स सहअस्तित्व को सामने रखती हैं.

अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रख्यात आलोचक रविभूषण ने कविताओं के विस्तृत संदर्भों पर बात की. ‘संक्रमण काल’ शीर्षक को सटीक एवं विशिष्ट बताते हुए उन्होंने कहा कि यह शीर्षक एक युग व्याख्यायित करता है.अनिमेष का यह अद्भुत संग्रह न केवल हमारे समय के सारे परिवर्तनों को दर्ज करता है, बल्कि इसके जरिये हमारे पहले के समय और आने वाले समय को भी समझा जा सकता है. अनिमेष को ‘अँधेरे में उम्मीद’ का कवि बताते हुए उन्होंने कहा कि किताब में जीवन अपने विविध रूपों में बार बार आता है जो यह सिद्ध करता है कि कवि जीवन के पक्ष में खड़ा है.

सभी वक्ताओं ने यह कहा कि महामारी के दौरान और उसके बाद पूरी दुनिया में आये व्यापक बदलावों और सार्वकालिक प्रभावों को महतर सभ्यता विमर्श की तरह दर्ज करने वाला किसी एक कवि का अनूठा और अद्वितीय कविता संग्रह है. कार्यक्रम में अनिमेष जी ने संग्रह से अपनी कुछ कविताओं का पाठ भी किया.