सदी की महा त्रासदी के समय लिखी गई कविताएं

  1. कहा अनकहा

समय का दरिया
इस तरह बहा

कि हर अगले घर में
कोई नहीं रहा…

  1. जाना अजाना

कोई एक जाता है
उसके साथ थोड़ा- थोड़ा
हर एक जाता है
लेकिन समझ नहीं पाता है
वह जब शोक मनाता है
तो अपना भी शोक मनाता है…

  1. उत्तर प्रश्न

उस्तरे पर
सिर धर कर
सोचता
आँखें भर कर

आपदा और बंद के
कठिन दिनों में
सीख ली है जिन्होंने
हजामत बनानी
आप अपनी

वे क्या फिर
आयेंगे लौट कर
उसके दर पर ?

: प्रेम रंजन अनिमेष,कवि

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