रांची: झारखंड में बीते 5 साल में झारखण्ड कृषि ऋण माफी योजना कार्यक्रम के तहत अब तक 6.51 लाख किसानों के लगभग 2400.66 करोड़ के ऋण माफ किए गए हैं. गुरुवार को रांची में कृषि विभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भाग लेते हुए अपने संबोधन में कहा कि सरकार ने पहले 50 हजार रूपए तक की ऋण माफी योजना में 4.73 लाख किसानों के लगभग 2 हजार करोड़ का ऋण और उसके बाद 2 लाख तक के ऋण माफी योजना में 1.78 लाख किसानों के 400.66 करोड़ के ऋण माफ किए हैं. इस मौके पर किसानों को ऋण माफी के प्रमाण पत्र भी सौंपे गए. इस दौरान कृषि मंत्री दीपिका पांडेय सिंह, वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव भी मौजूद थे.
38 लाख किसानों को ऋण माफी
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने कुल 38 लाख पंजीकृत किसानों का ₹2 लाख तक का ऋण माफ करने का निर्णय लिया है. ताकि बीते 2-3 सालों से खराब मौसम झेल रहे किसान कर्ज के बोझ तले न दबें. किसानों की ऋण माफी के अलावा उन्हें 200 यूनिट तक के बकाए बिजली बिल माफ करने के साथ 200 यूनिट तक की मुफ्त बिजली भी दी जा रही है ताकि किसान अपने बच्चों का लालन-पालन बेहतर ढंग से कर सकें. उन्होंने कहा कि सही नीतियों के अभाव में झारखंड दुग्ध,अंडा, मछली, फल-सब्जी उत्पादन में आगे नहीं बढ़ पाया. लेकिन सरकार ने राज्य को जो दिशा दी है, उससे किसानों और गांव की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा और यह मील का पत्थर साबित होगा.सरकार किसानों के चेहरे पर मुस्कान लाने का हर संभव प्रयास कर रही है.
वैकल्पिक कृषि से जुड़ें किसान
मुख्यमंत्री ने कहा कि मौसम की अनिश्चितता के कारण अब किसानों को परंपरागत खेती के साथ वैकल्पिक खेती के लिए भी आगे होगा. इसके लिए राज्य सरकार की ओर से बिरसा हरित ग्राम योजना, दीदी बाड़ी योजना, मुख्यमंत्री पशुधन योजना, नीलांबर- पीतांबर जल समृद्धि योजना और दीदी बगिया योजना जैसी कई योजनाएं संचालित है. सरकार ने पहली बार कृषि पदाधिकारियों की नियुक्ति की है, ताकि वे किसानों को फसल उत्पादन की नवीन और आधुनिक तकनीक से अवगत करा सकें. किसान पाठशाला के जरिए किसानों को खेती-बाड़ी से जुड़ी जानकारी देने के साथ कृषि कार्य के लिए प्रशिक्षण भी मिल रहा है.इतना ही नहीं, किसानों को अंडा, दुग्ध और मछली उत्पादन के लिए लगाकर प्रेरित और प्रोत्साहित किया जा रहा है. हमारा प्रयास है कि हमारे किसानों की आय में बढ़ोतरी हो, ताकि वे राज्य को मजबूत बनाने में अपनी भागीदारी निभा सकें.
डेयरी को बढ़ावा देने के लिए एमओयू
झारखंड में डेयरी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग तथा गुजरात के आनंद स्थित एनडीडीबी के बीच 5 वर्षों के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर भी किया गया. इसके तहत लगभग 68 हज़ार दुग्ध उत्पादकों को जोड़ा जाएगा. इसके अलावा दुग्ध उत्पादकों को दूध उत्पादन के उचित मूल्य के अलावा 5 रुपये प्रति लीटर प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी.
5 सालों के अनुत्तरित सवाल
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने अपने 5 सालों में किसानों के लिए किए गए ऋण माफी की तो बात की और आंकड़ा भी उपस्थित लोगों के सामने रखा लेकिन वह इन्हीं 5 सालों में किसानों की निर्भरता मौसम पर खत्म करने के लिए सिंचाई के साधनों को कितने बेहतर कर सके, यह बताने से चूक गए. इन्हीं 5 सालों में ही किसानों के लिए कितने कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था हुई ताकि वह औने पौने कीमतों पर अपनी फसलों को बेचने के लिए मजबूर न हों. 5 सालों के अपने कार्यकाल में वह किसानों के लिए कितने नए बाजार की व्यवस्था कर सके या चावल उत्पादक किसानों के लिए राइस मिलों की सुलभता कितनी हो सकी. ऐसे सवाल अनुत्तरित हैं. किसानों की समस्याएं फसल बीमा से भी जुड़ी हुई है कि आखिर पंजीकृत 38 लाख किसान फसल बीमा के लाभ से वंचित क्यों हैं. झारखंड के किसान मजदूर बनने को क्यों विवश हैं. छोटे या मझोले किसानों को कृषि उपकरणों की उपलब्धता कितनी है.