हरियाणा और जम्मू कश्मीर में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम के ठीक एक दिन बाद ही नई दिल्ली में झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने अपनी पत्नी व जेएमएम विधायक कल्पना सोरेन के साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष व कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात की. इस मुलाकात की तस्वीरें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि राज्य से जुड़े विषयों पर मुलाकात के दौरान चर्चा हुई. हालांकि संभावना जताई जा रही है कि इस मुलाकात के दौरान कांग्रेस और जेएमएम दोनों ही पार्टियों के बीच आगामी विधानसभा चुनाव से जुड़े अलग अलग विषयों पर चर्चा हुई.
संभावना है कि हरियाणा के चुनाव परिणामों के सबक और जम्मू कश्मीर में गठबंधन को मिली सफलता के बाद अब झारखंड में कांग्रेस और जेएमएम दोनों ही पार्टियां अपनी चुनावी रणनीति में बदलाव कर सकती है. इन बदलावों में मुख्य रूप से संभावित सीटों के फेरबदल होने के अलावा छोटे छोटे गैर भाजपा दलों को भी गठबंधन में शामिल करने के साथ ही उम्मीदवारों के चयन में भी आपसी समन्वय रखने पर भी सहमति बनी है ताकि चुनाव में गैर भाजपा वोटों को बिखराव की जगह गठबंधन के पक्ष में उन्हें एकजुट रखा जा सके.
माना जा रहा है कि हरियाणा और जम्मू कश्मीर, इन दोनों ही राज्यों के चुनाव परिणामों का असर अब झारखंड के चुनाव में भी पड़ेगा और बीजेपी अपने चुनाव अभियान में ज्यादा ही आक्रामक नजर आ सकती है. ऐसे में इस मुलाकात के बाद संभावना है कि जल्दी ही दोनों दलों के बीच सीटों की दावेदारी व उसके बंटवारे की औपचारिकताएं भी जल्दी ही पूरी कर उसका एलान कर दिया जाए ताकि उम्मीदवारों को अपने चुनाव प्रचार के लिए ज्यादा समय मिल सके.
सीटों के फेरबदल की तैयारी
2019 में 31 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस इस बार बीते लोकसभा चुनाव में मिली सफलता के आधार पर कई सीटों के फेरबदल करने की भी तैयारी में है खासकर दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल की 18 सीटों में से 3- 4 वैसी सीटों पर अपनी दावेदारी कर सकती है, जो फिलहाल जेएमएम के खाते में है. इन सीटों में खूंटी, रांची, सिसई और बिशुनपुर शामिल है.
खूंटी में कांग्रेस ने बीते लोकसभा चुनाव में भाजपा के मुकाबले दुगुना वोट हासिल किया था और दयामनी बारला के रूप में एक मजबूत चेहरा उसके पास है, जिसे समान रूप से आदिवासी वोटों के साथ साथ ईसाई मतों के मिलने की संभावना है तो वहीं सिसई में जेएमएम विधायक जिग्गा सुसारन होरो के खिलाफ स्थानीय लोगों में भारी नाराजगी के मुकाबले पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव के रूप में दमदार उम्मीदवार है, जो पूर्व मंत्री कार्तिक उरांव की बेटी हैं और यहां से 2009 में चुनाव भी जीत चुकी हैं.
इसी तरह रांची में भी बीते लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के बीच मतों का अंतर महज 10 से 12 हजार वोटों के होने और शहरी क्षेत्र में कांग्रेस का प्रभाव ज्यादा होने के आधार पर कांग्रेस इस बार यहां से चुनाव लड़ने का दावा पेश कर सकती है जबकि बिशुनपुर में जेएमएम विधायक चमरा लिंडा के बीते लोकसभा में कांग्रेस के खिलाफ बागी होकर लोहरदगा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने के आधार पर अपना दावा जेएमएम के सामने रखने की तैयारी में है.
राजनीतिक गलियारों में चर्चा यह भी है कि इन सीटों के बदले कांग्रेस पलामू प्रमंडल में अपनी कई सीट छोड़ने को तैयार है. इसे इस तरह से भी समझा जा सकता है कि लोकसभा चुनाव के बाद से पलामू प्रमंडल में जेएमएम ज्यादा सक्रिय नजर आ रहा है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंईयां सम्मान योजना की शुरुआत अगस्त महीने में पलामू से की थी तो वहीं बीते महीने मंईयां सम्मान यात्रा की शुरुआत भी कल्पना सोरेन ने पलामू से ही की है. 2019 के चुनाव में कांग्रेस पलामू प्रमंडल की सीटों पर बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सकी थी.इसमें मनिका, पांकी, भवनाथपुर, डाल्टनगंज और विश्रामपुर की सीट शामिल है.
इसके अलावा कोयलांचल में धनबाद, बाघमारा, बोकारो जैसी सीटें भी कांग्रेस के लिए पिछले विधानसभा चुनाव में कमजोर कड़ी साबित हुई थी. कांग्रेस जमुआ, सिमरिया सीट पर भी कुछ खास बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई जिसके आधार पर यह यह माना जा सकता है कि कांग्रेस अपने लिए मांडू, पोड़ैयाहाट, सिल्ली जैसी कुछ वैसी सीटों की मांग कर सकती है, जहां उसके पास बेहतर और मजबूत उम्मीदवार के भरोसे अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है.
झामुमो की बैठक
विधानसभा चुनाव को लेकर झामुमो शीर्ष नेतृत्व भी नवरात्र के बाद अपने सभी जिलाध्यक्षों और जिला सचिवों के साथ बैठक करने की तैयारी में है ताकि संभावित सीटों और उसके उम्मीदवारों के नामों पर विचार विमर्श किया जा सके. इस बैठक में झामुमो केंद्रीय समिति के सदस्य भी मौजूद रहेंगे. 14 अक्टूबर को रांची में होने वाली इस बैठक के संबंध में पार्टी महासचिव विनोद पांडेय का कहना है कि इसमें चुनावी चर्चा के साथ साथ राजनीतिक परिस्थितियों पर भी चर्चा होगी. साथ ही हेमंत सरकार की योजनाओं के अलावा मंईयां सम्मान योजना और मंईयां सम्मान यात्रा जैसे कार्यक्रमों पर भी चर्चा होने की संभावना है. बैठक में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी भाग लेंगे. इसके अलावा सभी विधायक और सांसद भी मौजूद रहेंगे. कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री सोरेन उन सभी नेताओं के साथ अलग से बैठक भी कर सकते हैं, जिन्हें पार्टी की ओर से चुनाव में उम्मीदवार बनाया जा सकता है.
बीजेपी का पंचप्रण
एक तरफ हरियाणा और जम्मू कश्मीर के चुनाव परिणाम से झारखंड में इंडिया गठबंधन की रणनीति में बदलाव होना तय है तो वहीं हरियाणा में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही भाजपा झारखंड में हेमंत सरकार और इंडिया गठबंधन के खिलाफ ज्यादा आक्रामक रुख अपना सकती है. भाजपा सरकार बनने पर मंईयां सम्मान योजना की जगह गोगो दीदी योजना के तहत 2100 रुपए देने का वादा कर भाजपा जेएमएम-कांग्रेस के लिए नई चुनौती पेश करती नजर आ रही है. इसके अलावा भाजपा महिला वोटरों को 500 रुपए में गैस सिलेंडर और साल में 2 सिलेंडर मुफ्त देने का वादा कर अपने पक्ष में गोलबंद करने के प्रयास में है, इसी तरह से युवाओं को 5 साल में 5 लाख नौकरियां के अलावा 2.82 लाख रिक्त पड़े पदों पर नियुक्ति किए जाने का भी भरोसा दिला कर इंडिया गठबंधन के लिए मुश्किल खड़ी कर रही है.
हरियाणा और जम्मू कश्मीर में कई मजबूत निर्दलियों और बागी उम्मीदवारों ने भाजपा और कांग्रेस को समान रूप से नुकसान या फायदा पहुंचाया है तो वहीं बसपा, आम आदमी पार्टी जैसे छोटे दलों के कारण भी चुनावी परिणाम पर खासा असर देखने को मिला है. इन स्थितियों से झारखंड में भी इंकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि राज्य में प्रभाव नहीं होने के बावजूद स्वतंत्र प्रभाव वाले उम्मीदवारों के कारण कई सीटों पर परिणाम को प्रभावित करने में वह सफल रहते हैं.