झारखंड में सरकारी खर्च पर हो रही यात्राओं से विधानसभा चुनाव को साधने की कोशिश

रांची: यात्रा, यात्रा और यात्रा…सरकारी खर्च पर अपने राजनीतिक हितों को साधने की होड़ इन दिनों झारखंड में मची हुई नजर आ रही है क्योंकि जल्दी ही यहां विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. विधानसभा चुनाव की तैयारी को लेकर केंद्रीय निर्वाचन आयोग की पूरी टीम मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार के नेतृत्व में झारखंड दौरे पर है. आज दौरे का अंतिम दिन है और संभावना जताई जा रही है कि हरियाणा और जम्मू कश्मीर चुनाव परिणाम के बाद ही झारखंड में चुनाव की तारीखों का एलान हो. इस चुनाव में प्रमुख विपक्षी दल भाजपा को उसके ही अंदाज में चुनौती देने और उसके हर चुनावी अस्त्र को भोथरा करने की रणनीति को अपनाने की कोशिश सत्ताधारी इंडिया गठबंधन के अगुआ और राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन करते नजर आ रहे हैं.

बीते 21 सितंबर से भाजपा ने सभी प्रमंडल में परिवर्तन यात्रा और परिवर्तन महासभा की शुरुआत की थी जिसके जवाब में सत्ताधारी इंडिया गठबंधन की ओर से हाल ही लांच किए गए झारखंड मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना से जोड़कर ही मंईयां सम्मान यात्रा करने का एलान किया गया ताकि राज्य की सभी महिला वोटरों को अपने पक्ष में किया जा सके. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो झारखंड में चुनाव के ठीक पहले हो रही यह यात्रा पॉलिटिक्स सरकारी खर्च पर से अपने अपने वोटरों को साधने की कोशिश दिखती है, जिसमें फिलहाल मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के बहाने सत्ताधारी गठबंधन विपक्षी एनडीए पर भारी पड़ता नजर आ रहा है और यह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए बड़ा गेमचेंजर साबित हो सकता है.

बीजेपी की परिवर्तन यात्रा

भाजपा की परिवर्तन यात्रा प्रमंडलवार हो रही है यानी झारखंड के अलग अलग प्रमंडलों में पार्टी के बड़े नेताओं ने इसे अलग अलग तिथियों को शुरू किया. यात्रा के दौरान ही सभी विधानसभा क्षेत्रों में परिवर्तन महासभा का भी आयोजन किया जा रहा है, जिसे पार्टी के शीर्ष नेता संबोधित कर रहे हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 21 सितंबर को संथाल परगना और उत्तरी छोटानागपुर से यह यात्रा शुरू की तो वहीं 22 सितंबर को केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पलामू और चतरा में इसकी शुरुआत की. पार्टी अध्यक्ष और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा 23 सितंबर को झारखंड आए और भगवान बिरसा मुंडा की धरती खूंटी से दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के लिए यात्रा शुरू की. इस मौके पर उन्होंने जनसभा को भी संबोधित किया. इसी दिन कोल्हान में यात्रा की शुरुआत केंद्रीय कृषि मंत्री सह झारखंड भाजपा के चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान ने की.

पार्टी की ओर से अब तक हुई परिवर्तन यात्रा में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर, बिहार सरकार में मंत्री नितिन नवीन, छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री समेत कई नेता आ चुके हैं. भाजपा की यह यात्रा 3 अक्तूबर तक होने वाली है. बीजेपी शासित राज्यों के मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों के भारी भरकम सरकारी खर्च पर हो रही इस यात्रा से बीजेपी अपने मकसद में कितना कामयाब हो पाएगी, इस सवाल के जवाब में बीते डेढ़ दशक से झारखंड में बीजेपी को कवर करने वाले स्वतंत्र पत्रकार अमित झा कहते हैं कि परिवर्तन यात्रा में पार्टी के बड़े नेताओं, जो सरकारी पदों को संभाल रहे हैं, उन्हें झारखंड लाने से पार्टी को फायदा तो जरूर मिलेगा क्योंकि अलग अलग क्षेत्रों में पार्टी सभाओं के जरिए संबंधित क्षेत्र में मौजूद जाति विशेष के वोट बैंक को साधने की कोशिश में है, यही कारण है कि यात्रा में भीड़ काफी उमड़ रही है लेकिन वह वोट में कितना तब्दील हो पाएगा, इसके आकलन के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा क्योंकि राज्य में लोकप्रियता के मामले में भाजपा अभी भी हेमंत सोरेन के मुकाबले कमतर ही नजर आ रही है. जमीन घोटाले मामले में जेल भेजे जाने और फिर जमानत पर छूट कर आने से हेमंत सोरेन की लोकप्रियता बढ़ी है इसके अलावा भाजपा के पास सरकार को घेरने वाले मुद्दों का भी अभाव नजर आ रहा है, जिसके कारण भाजपा अपने तमाम कोशिशों के बाद भी अभी तक चुनावी तैयारियों में पिछड़ती ही नजर आ रही है.

आखिर यात्रा की जरूरत क्यों

आखिर झारखंड में यात्रा की जरूरत क्यों पड़ी, इस सवाल के जवाब में प्रमुख राजनीतिक विश्लेषक और बीते 3 दशकों से झारखंड में पत्रकारिता कर रहे शहरोज कमर कहते है कि बीते लोकसभा चुनाव के ठीक पहले जब कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की हुई भारत जोड़ो न्याय यात्रा हुई थी तो काफी बड़ी संख्या में लोगों खासकर युवाओं का समर्थन कांग्रेस को मिला था और इसके कारण उसकी सीटों की संख्या 2014 और 2019 में मिली सीटों की कुल संख्या को भी पार कर गई. ऐसे में इन यात्राओं से मिलने वाली सफलता से इंकार नहीं किया जा सकता है. ऐसे में संभावना है कि भाजपा भी झारखंड में एक बार फिर से सत्ता में वापसी के लिए यात्रा पॉलिटिक्स को आजमाने की सोची हो और केंद्रीय गृह मंत्री व पार्टी के प्रमुख चुनावी रणनीतिकार अमित शाह के जरिए झारखंड में बढ़त हासिल करने के लिए परिवर्तन यात्रा शुरू की. लेकिन पार्टी के इसे अपने अंजाम तक पहुंचा पाने से पहले ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य में मंईयां सम्मान यात्रा करने का एलान कर दिया और इसकी अगुआई का जिम्मा अपनी पत्नी व गांडेय से विधायक कल्पना मुर्मू सोरेन को सौंप दिया.

महिला वोटरों को चुनाव में साधने और उसके जरिए अपनी सत्ता बरकरार रखने की कोशिशों के लक्ष्य के साथ शुरू हुए मंईयां सम्मान यात्रा के पहले दिन ही कल्पना सोरेन की सभाओं में उमड़ी भीड़ ने लोकसभा चुनाव की याद दिला दी, जब जेल में बंद होने के कारण हेमंत सोरेन की अनुपस्थिति में हुई उनकी डेढ़ सौ से ज्यादा चुनावी सभाओं में किस कदर लोगों की भीड़ उमड़ी और इसके जरिए ही जेएमएम ने साल 2004 के बाद पहली बार एक से अधिक लोकसभा सीटों यानी कुल तीन सीटें जीती तो वहीं भाजपा को गैर आदिवासी सीटों यानी केवल 9 सीट तक समेट दिया.

झारखंड सरकार में मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर, मंत्री बेबी देवी और कांग्रेस विधायक व कृषि मंत्री दीपिका पांडेय सिंह की मौजूदगी में गाड़ियों के लंबे काफिले ने साबित कर दिया है कि मंईयां सम्मान यात्रा भाजपा के परिवर्तन यात्रा पर भारी पड़ने वाली है. मंईयां सम्मान यात्रा के पहले दिन ही उमड़ी इस भारी भीड़ से उत्साहित मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक और बड़ा एलान कर दिया है.

झारखंड सरकार ने मंईयां सम्मान योजना से 18 से 20 सालों की लड़कियों या महिलाओं को जोड़ने के लिए सभी कॉलेजों में कैंप लगाने का निर्देश दिया है यानी फर्स्ट टाइम वोटर जिसे भाजपा और उसके नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना मान बैठकर हर चुनाव में इन वोटरों से बीजेपी के पक्ष में वोट करने की अपील करते हैं, उसमें हेमंत सोरेन ने सेंध लगा दी है. जब हर घरों से यह वोट बीजेपी से खिंसकेगा तो यह अनुमान लगाना मुश्किल नही है कि घर के बाकी अन्य सदस्यों के वोट किसके पक्ष में जायेंगे और चुनाव का परिणाम क्या होगा. क्योंकि मंईयां सम्मान योजना से अब तक 45 लाख से अधिक महिलाएं जुड़ चुकी हैं तो वहीं इससे पहले झारखंड सरकार 50 वर्ष से अधिक की उम्र वाले सभी वर्ग की महिलाओं के लिए पेंशन योजना लागू कर चुकी है यानी झारखंड में 18 वर्ष से अधिक की उम्र की सभी युवतियां या फिर महिलाएं झारखंड सरकार की लाभार्थी हैं.