1998 में पटना के IGIMS अस्पताल में बिहार के तत्कालीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री सह राजद नेता बृजबिहारी प्रसाद की दिनदहाड़े हुई हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए पूर्व विधायक व राजद नेता मुन्ना शुक्ला को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है. हालांकि कोर्ट ने इसी मामले में पूर्व सांसद सह लोजपा नेता सूरजभान सिंह समेत 6 आरोपियों को बरी कर दिया है. 2009 में निचली अदालत ने इस मामले में सभी आठ आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी, लेकिन 2014 में पटना हाईकोर्ट ने सभी को बरी कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों आरोपियों को 15 दिन के अंदर सरेंडर करने के लिए कहा है.
पटना हाईकोर्ट के फैसले को पूर्व मंत्री की पत्नी व पूर्व सांसद रमा देवी और सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और बीते 22 अगस्त को दोनों पक्षों की सुनवाई पूरी करने के बाद सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. बेंच ने इस मामले में एक अन्य आरोपी मंटू तिवारी को भी दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है. सुप्रीम कोर्ट की बेंच सबूतों के अभाव में अभियुक्तों को बरी करने के पटना हाई कोर्ट के साल 2014 के आदेश के खिलाफ सुनवाई कर रहा था. सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बृज बिहारी प्रसाद की पत्नी और पूर्व सांसद रमा देवी ने खुशी जताते हुए कोर्ट और सरकार को धन्यवाद दिया साथ ही कहा कि गृहमंत्री अमित शाह ने इसके लिए तत्परता से काम किया है.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से बाहुबली नेता कहे जाने वाले मुन्ना शुक्ला को करारा झटका लगा है क्योंकि अगले साल होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों में वह जुटे थे. बीते लोकसभा चुनाव के दौरान मुन्ना शुक्ला राजद में शामिल हुए थे और वैशाली लोकसभा सीट से राजद के टिकट पर चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. वह दो बार एलजेपी के टिकट पर और एक बार निर्दलीय लालगंज विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से मुन्ना शुक्ला के एक बार फिर से चुनावी राजनीति में आने पर पूरी तरह से रोक लगता नजर आ रहा है. तीन जजों के बेंच के फैसले के खिलाफ उन्हें बड़ी बेंच में जाने का अवसर है लेकिन फिलहाल तो इस पूर्व विधायक के राजनीतिक पारी पर ग्रहण लग चुका है.