दुमका: जीत से ज्यादा हार के हैं चर्चे, सीता सोरेन के राजनीतिक भविष्य पर टिका है चुनाव परिणाम

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दुमका: लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में 1 जून को #दुमका लोकसभा सीट पर मतदान होना है. चुनाव में मुख्य मुकाबला Jharkhand Mukti Morcha प्रत्याशी और शिकारीपाड़ा विधायक नलिन सोरेन और जामा विधायक Sita Soren के बीच में है, जो Bharatiya Janata Party (BJP) के उम्मीदवार के रूप में खड़ी हैं. सीता सोरेन लोकसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद #बीजेपी में शामिल हुई थी और पार्टी ने पूर्व घोषित उम्मीदवार और वर्तमान #सांसद सुनील सोरेन के टिकट काटकर उन्हें उम्मीदवार बनाया है.

92 फीसदी ग्रामीण बहुल इलाके वाले दुमका में #एसटी मतदाता 37.5% और #मुस्लिम मतदाता 17.5% हैं इसके अलावा 7.8% #एससी और 3.5% #ईसाई मतदाता हैं. 2019 के चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार सुनील सोरेन ने 47590 वोटों से जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन को हराया था, जो पहले 2009 और बाद में मोदी लहर में भी 2014 के चुनाव में जीत चुके थे हालांकि पुलवामा और बालाकोट एयर स्ट्राइक से उपजे राष्ट्रवाद के कारण 2019 का चुनाव हार गए.

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चुनाव को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश दुमका की काठीकुंड निवासी चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता मुनी हांसदा कर रही है, जिनकी पहचान काठीकुंड में लगने वाले पावर प्लांट के खिलाफ बड़ा आंदोलन करने के रूप में रही है.

दुमका में चुनाव प्रचार की कमान पूर्व मुख्यमंत्री Hemant Soren की अनुपस्थिति में उनकी पत्नी #कल्पना मुर्मू सोरेन ने स्वयं संभाल रखी है, जो आसानी से लोगों खासकर महिला और युवा वोटरों को लुभाने में कामयाब रह रही हैं. उनका कहना है कि बीजेपी के #झूठ, #लूट और #अहंकार की राजनीति को सबक सिखाने का जिम्मा जनता ने स्वयं संभाल लिया है और बदलाव की यह बयार जो पूरे देश में चल रही है उसमें बीजेपी का सूपड़ा साफ होना तय है.